यह महाकाव्य सम्पूर्ण तमिल वाङ्मय का गौरव ग्रन्थ है।
2.
उनका पहला ही कविता संग्रह “ पोएमास ई ऐण्टीपोएमास ” अब लातीनी अमरीकी साहित्य का एक गौरव ग्रन्थ बन चुका है.
3.
शौरिराजन ने, अपने अध्यवसाय की गरिमा से युक्त कर गौरव ग्रन्थ का सतत् पठनीय स्वरूप प्रदान करने में सफलता प्राप्त की हैं।
4.
‘राजतरंगिणी और कश्मीर नरेश ' नामक पुस्तक में डॉ. उमेश कुमार मिश्र ने इस मध्ययुगीन गौरव ग्रन्थ मे उल्लिखित कश्मीर के कतिपय प्रसिद्ध राजाओं तथा मन्त्रियों का चरित्र बहुत रोचक शैली में प्रस्तुत किया है।
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यद्यपि इसके पूर्व के अनेक बुन्देली काव्य ग्रन्थ बृज भाषा काव्यों की कोटि में माने जाते रहे हैं तथापि यह अपने आपमें एक ऐसा गौरव ग्रन्थ है जिसमें विशुद्ध बुन्देली का अपनाया गया है।
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भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन पर आधारित दोखंडों में प्रकाशित उनका उपन्यास “ कालकथा ” सच में हिन्दी साहित्य का गौरव ग्रन्थ है खुशी की बात यह है कि इसके शेष दो खण्ड भी कामतानाथ ने लिख लिये थे जो प्रकाशक को प्रकाशनार्थ दिये जा चुके हैं।